अमावस्या को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। धर्मग्रंथों के अनुसार साल में 12 अमावस्या होती है। इन सब अमावस्या में से माघ अमावस्या का अपना खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में देवताओं का वास होता है, जिसमें स्नान करके पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन पवित्र नदी व गंगा में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ अमावस्या माघ माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के दिन कुछ लोग व्रत व उपवास भी रखते हैं। इसके अलावा इस दिन पितरों के लिए भी पूजा की जाती है, जिससे उनके जीवन व घर में सुख-शांति बनी रहे। माघ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है।
तो आइए, देवदर्शन के इस ब्लॉग में मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त और महत्व को विस्तार से जानें।
मौनी अमावस्या (mauni amavasya) 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
माघ अमावस्या 2022 की शुरुआत 1 फरवरी, 2022 दिन मंगलवार को सुबह 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर दोपहर 11 बजकर 18 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दौरान भक्त माघ अमावस्या की पूजा व स्नान आदि कर सकते हैं।
मौनी अमावस्या (mauni amavasya) व्रत विधि
- माघ अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान आदि करें।
- संभव हो तो किसी भी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें।
- इसके बाद सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
- फिर व्रत संकल्प लें और संभव हो तो मौन व्रत एवं ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को भोजन जरूर कराएं।
- माघ अमावस्या के दिन अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी का दान करने से सभी पापों व दोष से मुक्ति मिलती है।
- आप अपनी इच्छा अनुसार इस दिन स्वर्ण, गाय व भूमि का भी दान कर सकते हैं।
- इस दिन गाय को भोजन कराने का भी विधान है।
- माघ अमावस्या के दिन भी पितरों की पूजा की जाती है।
- इस दिन पितरों की विधि-विधान के साथ तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शाम के समय पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ माना गया है।
- अगले दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद गाय को भोजन कराकर व्रत का समापन करें।
मौनी अमावस्या का महत्व (mauni amavasya ka mahatva)
मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के दिन पितरों के तर्पण के साथ मौन रहने का भी विशेष महत्व होता है। अगर आप इस दिन मौन नहीं रहते है, तो कोशिश करें की आज के दिन किसी भी तरह के कोई कटु शब्दों का न प्रयोग करें।
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक चंद्रमा को मन का कारक माना गया है और अमावस्या के दिन चंद्र देव नहीं दिखाई देते है, जिसके कारण से मन कमजोर हो जाता है। इस स्थिति को नियंत्रण रखने के लिए ही इस दिन मौन व्रत किया जाता है, जिसके चलते मन पर संयम रखा जा सके। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की भी पूजा का विधान होता है।
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