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जानिए Aja Ekadashi 2022 की व्रत करने का तरीका और कथा के बारे में

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हिंदू शास्त्रों में हर व्रत की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसा माना जाता है कि व्रत रखने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा सुख समृद्धि आती है। एकादशी का व्रत इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर वर्ष 24 एकादशियां होती हैं। भाद्रपद की कृष्ण एकादशी को और माघ मास की शुक्ल एकादशी को अजा एकादशी (aja ekadashi 2022) कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है एवं उनका व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कब है अजा एकादशी 2022 (aja ekadashi 2022)

वर्ष 2022 में अजा एकादशी (aja ekadashi 2022) का व्रत 23 अगस्त, मंगलवार को है।
अजा एकादशी पारणा मुहूर्त : 05:54:42 से 08:30:09 तक 24, अगस्त को
अवधि : 2 घंटे 35 मिनट

अजा एकादशी व्रत की पूजा विधि (aja ekadashi puja vidhi)

– इस व्रत में पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है।
– एकादशी के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
– पूजा के स्थान को साफ करके भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
– पूजा के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
– फिर पूजा के लिए सामग्री एकत्रित करें।
– सामग्री में पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, अक्षत, घी, पंचामृत भोग, तुलसी दल, चंदन इत्यादि रखना जरूरी है।
– फिर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें तथा भोग लगाएं।
– सुबह और शाम भगवान की आरती करें।
– अजा एकादशी (aja ekadashi) की व्रत कथा पढ़ें।
– यह व्रत निराहार रखा जाता है और शाम को फलाहार से इसे पारण किया जाता है।
– रात्रि जागरण करें एवं भगवान का भजन कीर्तन करें।
– द्वादशी तिथि के दिन प्रातः गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दान-दक्षिणा दें। पूरा व्रत खोलें।

अजा एकादशी की व्रत कथा (aja ekadashi vrat katha)

राजा हरिश्चंद्र अपने सत्य निष्ठा एवं ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। एक बार स्वप्न में उन्होंने ऋषि विश्वामित्र को अपना राज पाठ दान देते हुए देखा। अगले दिन उन्होंने ऋषि विश्वामित्र को अपना राज पाठ दान कर दिया। ऋषि विश्वामित्र द्वारा राज पाठ के अलावा 500 स्वर्ण मुद्राएं दान में मांगे जाने पर उन्होंने अपनी पत्नी, अपने पुत्र और स्वयं को भी बेच दिया। इसके बाद राजा हरिश्चन्द्र शमशान भूमि में दाह संस्कार के लिए कर वसूली का काम करने लगे।
समय व्यतीत होता गया और राजा हरिश्चंद्र पूरी सत्य निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपना कार्य करते गए। एक दिन गौतम ऋषि ने उनकी सत्य निष्ठा और कर्तव्य निष्ठा से प्रभावित होकर उन्हें अजा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। ऋषि के बताए अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने एकादशी का व्रत रखा और पूरे विधि विधान से पूजा की। इस व्रत को रखने से राजा के सभी कष्ट दूर हो गए और ऋषि विश्वामित्र ने भी उन्हें उनका राज पाठ लौटा दिया। तभी से अजा एकादशी (aja ekadashi) का व्रत रखा जाता है। भाद्रपद की कृष्णपक्ष की एकादशी अजा एकादशी होती है। इस एकादशी के बाद हरितालिका तीज, गणेश चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं।

अजा एकादशी व्रत के लाभ

– अजा एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की आराधना की जाती है जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
– इस व्रत को करने से मनुष्य को भूत पिशाचों से मुक्ति मिलती है।
– ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

– अजा एकादशी (aja ekadashi) का व्रत रखने और कथा को सुनने से भक्तों को अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

– इस एकादशी से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

 

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