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विष्णु स्वरूप अनंत चतुर्दशी (anant chaturdashi) की पूजा, विधि, मुहूर्त और महत्व

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भारतीय महीने भाद्रपद शुक्ल के चौदहवें दिन अनंत चतुर्दशी उत्सव मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी (anant
chaturdashi) उत्सव का महत्व दो बातों के लिए बहुत अधिक है। पहला इस दिन देशभर में चल रहे गणेशोत्सव का समापन होता है और दूसरा भगवान विष्णु को जो कि अनंत है। उनके अनंत रूप की पूजा होती है। लोग इसे अनंत व्रत भी कहते हैं।

2022 में अनंत चतुर्दशी कब है (anant chaturdashi 2022)

साल 2022 में अनंत चतुर्दशी (anant chaturdashi) व्रत 9 सितंबर 2022 को मनाया जाएगा।
अनंत चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 8 सितंबर 2022 रात 9.02 मिनट पर
अनंत चतुर्दशी तिथि समाप्त- 8 सितंबर 2022 रात 6.07 मिनट पर

अनंत चतुर्दशी का महत्व (Anant chaturdashi mahatv)

शास्त्रों में अनंत चतुर्दशी (anant chaturdashi) का विधान बहुत अधिक है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से सभी दु:खों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है, जो भक्तों को अनंत पापों से भी मुक्त करने की शक्ति रखते हैं। इस दिन गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेशोत्सव समाप्त भी होता है।

– कई लोग 14 सालों तक भगवान अनंत के लिए हर अनंत चतुर्दशी को उपवास रखते हैं।
– कई लोग अनंत चतुर्दशी को 14 चीजों का दान करते हैं। जैसे 14 फल, 14 तरह के पकवान, 14 के गुणा में रुपए आदि।
– भगवान अनंत के साथ शेष नाग और यमुना की पूजा का भी विधान है।
– यदि घर में गणेशजी की स्थापना की होती है, तो अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।
– अनंत चतुर्दशी के दिन अन्न दान का बहुत महत्व है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व (Anant chaturdashi ka mahatva)

भगवान विष्णु का एक नाम है अनंत। इसका अर्थ है जो सृष्टि के पहले से हों और जिसके अंत का भी कोई ज्ञात ना हो। यह शाश्वत होने का प्रतीक है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए उपवास रखते हैं। कई जगहों पर हल्दी के 14 गांठों की एक माला बनाई जाती है। माना जाता है कि ये 14 गांठ भगवान श्री विष्णु की ओर से बनाए गए 14 लोकों का प्रतीक है। इस माला को अनंत कहते हैं। इस माला पर भगवान विष्णु के दिव्य मंत्रों का जाप किया जाता है। इसे 14 दिन तक बांध के रखा जाता है।

अनंत चतुर्दशी की पूजा कैसे करें (anant chaturdashi puja vidhi)

– अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
– भगवान अनंत यानी विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें।
– हल्दी, कुमकुम के साथ सूती धागे से 14 गांठ युक्त एक माला बनाएं।
– कई जगह इस माला में हल्दी की गांठ पिरोई जाती है।
– भगवान विष्णु को फल-फूल अर्पित करें।
– सुबह से शाम तक व्रत करें।
– अनंत चतुर्दशी की कथा पढ़ें।
– भगवान विष्णु की कृपा के लिए 14 चीजों का दान करें।

अनंत चतुर्दशी की कथा (anant chaturdashi katha)

कहते हैं सबसे पहले अनंत चतुर्दशी का व्रत पांडवों ने किया था। उन्हें इस व्रत करने का सुझाव भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था। अनंत चतुर्दशी की व्रत की कथा के अनुसार बहुत समय पहले एक तपस्वी थे। जिनका नाम सुमंत और उनकी पत्नी का नाम दीक्षा था। उनकी बेटी का नाम सुशीला था। मां की मृत्यु के बाद सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से हुआ। सुशीला ने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर अनंत धागा बनाया। पति कौंडिन्य से यह धागा टूट गया। इसके बाद अनंत के क्रोध से कौंडिन्य काफी दु:खी रहने लगे। जब ऋषि को काफी समय बाद अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत किया और फिर से सुखी हो गए। आप भी अनंत चतुर्दशी (anant chaturdashi) पर व्रत कथा का पाठ करके पुण्य लाभ ले सकते हैं।

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