माता दुर्गा का सातवां रूप है कालरात्रि। नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। कालरात्रि का रूप देखने वालों को भयानक लगता है। माता का यह रूप बेहद उग्र भी है, लेकिन माता जितनी भयानक दिखती हैं, उतनी ही भक्तों के लिए शुभदायक है। वे कभी अपने भक्तों को निराश नहीं करती है। माता कालरात्रि की सबसे अच्छी बात यही है कि वे निर्दोष भक्तों की सदा सहायक होती है। उनके भक्त नीडर होकर अपने सभी कार्यों को आसानी से कर पाते हैं। राहु दोष से पीड़ित व्यक्ति को कालरात्रि पूजा जरूर करनी चाहिए। देखते हैं कैसे माता का स्वरूप-
माता कालरात्रि का स्वरूप
माता कालरात्रि का माता दुर्गा के सबसे उग्र रूपों में से एक हैं। उनका रंग अंधेरे से भी काला है। वे खुले बाल रखती हैं, जो बहुत ही बड़ें हैं। उनके गले में बिजली और भयानक ऊर्जा की माला है। माता की तीन आंखें हैं और चार हाथ हैं। जब वे सांस लेती हैं, तो उनके नथुनों से आग की लपटें निकलती है। काल का अर्थ है मृत्यु और कालरात्रि का अर्थ है मृत्यु की भी मृत्यु। वे भूत, भविष्य और वर्तमान सभी कालों को अपने वश में करके चलती हैं। उनका वाहन गधा है। उनके चार हाथों में से दो में वे भयानक अस्त्र धारण करती हैं, जो शत्रुओं के विनाश के लिए पर्याप्त है।
देवी कालरात्रि का महत्व
मां हमेशा गुस्से में नहीं रहती है, लेकिन वे दुष्टों के प्रति क्रोध में जरूर रहती है, लेकिन एक मंद मुस्कान उनके होंठों पर हमेशा छायी रहती है, जो शरण में आने वालों को सदैव क्षमा कर देती है। मां हमें सिखाती हैं कि जीवन का सामान्य क्रम उजाला और अंधेरा है, लेकिन अंधेरा यानी जीवन में दु:ख आने पर भी हमें निराश नहीं होना चाहिए। इसका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। नीडर लोगों के सामने दु:ख कभी नहीं ठहरता है। जानते हैं कैसे करना है माता कालरात्रि की विशेष पूजा और क्या है इनके मंत्र-
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा विशेष तरीके करना चाहिए। घर में जहां घटस्थापना की गई है, वहां सबसे पहले गणेश, कार्तिकेय, देवी सरस्वती, लक्ष्मी जया, विजया की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद माता कालरात्रि का आह्वान करके उन्हें पुष्प, नेवैद्य, धूप, दीप लगाना चाहिए। माता को हलवे, खीर का भोग लगाना अच्छा रहता है। कालरात्रि की पूजा के समय देवी सुक्त, रात्रि सुक्त का पाठ करना अच्छा रहता है। वहीं कई जगहों पर माता को मदिरा भी चढ़ाई जाती है। हालांकि ऐसी कोई मान्यता नहीं है। कुछ कथाओं के अनुसार माता कालरात्रि की पूजा रात के समय भी की जाती है।
माता कालरात्रि के मंत्र
ॐ कालरात्रि दैव्ये नम:
या
या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रुपैण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
या
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि ..
कालरात्रि पूजा के लाभ
माता कालरात्रि अंधकार पर विजय का प्रतीक है। वे नीडर है। उनकी उपासना करने वाले व्यक्ति को किसी भी बात का डर नहीं रहता है। उसका आत्मविश्वास चरम पर रहता है। कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी है, इसलिए उनकी पूजा करने वाले को सभी जगह शुभ फल ही प्राप्त होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु की परेशानी से मुक्ति के लिए कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए। राहु के नकारात्मक फल देवी कालरात्रि की कृपा से सकारात्मक हो जाते हैं। देवी ऊर्जा का स्वरूप है। उनका वाहन भी गधा है, जो हमेशा मेहनत करता है, इसलिए देवी की उपासना करने से आलस्य जैसा महारोग दूर हो जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा सदैव शुभकारी ही रहती है।
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