प्रदोष व्रत (pradosh vrat) भगवान शंकर को समर्पित होता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। शास्त्रों में त्रयोदशी को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष में होते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। यह व्रत भगवान शिव का आर्शीवाद पाने के लिए किया जाता है। कहा जाता है, प्रदोष व्रत करने से मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तो आइए, देवदर्शन के इस ब्लॉग में प्रदोष व्रत जनवरी 2022 में कब है? प्रदोष व्रत का शुभ मूहूर्त और महत्व को विस्तार से जानें
प्रदोष व्रत जनवरी 2022 (pradosh vrat 2022) की तिथि
- शुक्ल पक्ष की प्रदोष व्रत 15 जनवरी 2022, दिन शनिवार को पड़ रहा है।
- कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्रत 30 जनवरी 2022, दिन रविवार को पड़ रहा है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद और रात होने से पहले का समय प्रदोष काल (pradosh time) होता है। इस अवधि के दौरान भगवान शिव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। यानी, प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि (pradosh vrat ki pooja vidhi)
- त्रयोदशी के शुभ दिन सुबह सबसे पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें।
- इसके बाद स्नान आदि करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- फिर घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।
- इसके बाद मंदिर में भगवान शिव के समक्ष एक दीपक जलाएं।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भक्त इस दिन व्रत भी रखते है। अगर हो सके तो आप भी व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान शिव को गंगाजल से अभिषेक करें और फिर बाद में अपने पूरे घर को भी गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
- भगवान शिव को फूल अर्पित करें।
- जैसे कि आप जानते है कि किसी भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है, तो इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ गणेश भगवान की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
- इसके बाद भगवान को भोग लाएं।
- अंत में भगवान की आरती करें।
- इस दिन हो सके तो अधिक से अधिक भगवान का ध्यान और मंत्रों का जाप करें।
- ध्यान रहे कि पूजा के समय भगवान शिव के लिए बेल पत्र जरूर चढ़ाएं। क्योंकि भगवान शिव को यह अति प्रिय है।
प्रदोष व्रत का महत्व (pradosh vrat ka mahatva)
प्रदोष व्रत को हिंदू धर्म में बहुत शुभ व पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते है और साथ ही उन्हें मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से लंबी आयु और घर की सुख-शांति में वृद्धि होती है। इसके अलावा इस व्रत को करने से कई तरह के रोगों से भी मुक्ति मिलती है। यह भी कहां जाता है कि एक प्रदोष व्रत का फल दो गायों के दान के बार होता है।
प्रदोष व्रत की कथा (pradosh vrat katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार पत्नी के शाप के कारण चंद्र देव भगवान को क्षय रोग लग गया। इस रोग से मुक्ति पाने के लिए सभी देवी-देवताओं ने चंद्र देव को भगवान शिव की पूजा व तपस्या करने को कहां। चंद्र देव ने सभी की बात को मानकर भगवान शिव की तपस्या की। जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्ति दी। यह भी कहां जाता है कि त्रयोदशी के दिन ही भगवान शिव ने चंद्र देव को पुनर्जीवित किया था। तब से ही इस दिन को प्रदोष कहा जाता है। इसलिए इस दिन व्रत व विधि-विधान के साथ पूजा करने से सभी रोगों व दुखों से मुक्ति मिलती है।
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