भारत की संस्कृति अत्यंत प्राचीन है। हमारे देश में कई चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर हैं जिसमें दक्षिण भारत में स्थित भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर भी शामिल है। यह मंदिर भारतीय वास्तु कला और शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है और यह भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने कलियुग की मुसीबतों और चिंताओं से मानव जाति को बचाने के लिए यह अवतार लिया था; जिसका एक कारण यह भी है कि मंदिर कलियुग प्रथ्यक्ष दैवम् के नाम से जाना जाता है।
आपको बता दें, यहां प्रतिदिन हजारों तीर्थयात्री मंदिर में दर्शन करने आते हैं। त्यौहारों पर यह संख्या लगभग 5,00,000 तक पहुंच जाती है, यही कारण है कि यह दुनिया में सबसे अधिक देखे जाने वाला तीर्थस्थल बन जाता है।
मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। इस अलौकिक और चमत्कारिक मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं। तो आइए देवदर्शन के इस ब्लॉग में इससे जुड़ी 10 रहस्य को जानते हैं।
- इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा अलौकिक है। यह विशेष पत्थर से बनी है। भगवान की प्रतिमा से पसीने की बूंदें आती है। इसलिए मंदिर में तापमान कम रखा जाता है।
- कहा जाता है भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर बाल लगे हैं जो असली हैं। यह बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं।
- इस मंदिर में एक दीया हमेशा जलता रहता है। इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता। यहां तक किसी को नहीं पता है कि दीपक कब जलाया गया था, लेकिन यह माना जाता है कि यह एक हजार साल से जल रहा है।
- भगवान वेंकेटेश्वर की प्रतिमा पर पचाई कपूर लगाया जाता है। लेकिन इस कपूर का भगवान बालाजी की प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जबकि यह कपूर किसी भी पत्थर पर लगाया जाता है तो पत्थर में कुछ समय में दरारें पड़ जाती हैं।
- भगवान वेंकेटेश्वर की मूर्ति पर कान लगाकर सुनें तो समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है।
- भगवान का श्रृंगार हटाकर स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है और जब इस लेप को हटाने के बाद भगवान वेंकेटेश्वर के हृदय में माता लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती है।
- किसी अन्य धातु की तुलना में वेंकेटेश्वर की मूर्ति अधिक मजबूत है। ग्रीन कैम्फर, जिसे सबसे मजबूत सामग्री के रूप में जाना जाता है।
- मान्यता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं जिसकी वजह से श्री वेंकेटेश्वर स्वामी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परम्परा है।
- मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने पर लगता है कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की मूर्ति गर्भ गृह के मध्य में है। लेकिन गर्भगृह के बाहर आने पर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी तरफ स्थित है।
- श्री वेंकेटेश्वर स्वामी के मंदिर से 23 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है जहां से मंदिर में चढ़ाया जाने वाला पदार्थ जैसे- फूल, फल, दही, घी, दूध, मक्खन आदि आते हैं। इस गांव में गांव वालों के अलावा कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता।