बसंत पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में बसंत पंचमी (basant panchami) के दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है। आपको बता दें, बसंत पंचमी हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है।
बसंत पंचमी (basant panchami) विद्यार्थियों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद शुभ दिन माना गया है। बसंत पंचमी के दिन छात्र मां सरस्वती की विशेष पूजा करते हैं, जिससे उनके ऊपर मां की कृपा बनी रहे। इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
तो आइए देवदर्शन के इस ब्लॉग में बसंत पंचमी कब है? यहां जानें, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व को विस्तार से जानें।
बसंत पंचमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
माघ मास के शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी 5 फरवरी, 2022 दिन शनिवार को मनाई जाएंगी। इस दिन बसंत पंचमी की पूजा मुहूर्त सुबह 7 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। पूजा के लिए यह अवधि मात्र 5 घंटे 28 मिनट तक होगी, जिसमें भक्त मां सरस्वती की विधि विधान के साथ पूजा कर सकते हैं।
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बसंत पंचमी की पूजा विधि (basant panchami pooja vidhi)
- बसंत पंचमी के शुभ दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
- इसके बाद स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें। क्योंकि मां को पीला रंग अति प्रिय है।
- फिर मां सरस्वती की प्रतिमा को गंगाजल से अभिषेक करें।
- अब मां का शृंगार करें और माता को श्वेत वस्त्र पहनाएं।
- इसके बाद मां के समक्ष एक क्लश स्थापित करें।
- अब मां सरस्वती की पूजा करने शुरू करें।
- पूजा के दौरान मां को सफेद रंग के फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से मां बहुत प्रसन्न होती है। क्योंकि मां सरस्वती को सफेद रंग के पुष्प बेहद पसंद है।
- अंत में मां को भोग लगाएं। भोग के रूप में मां को खीर और दूध से बनी मिष्ठान चढ़ाना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार पूजा के बाद गरीब बच्चों व छात्रों को कलम और पुस्तक दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मां की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है।
बसंत पंचमी का महत्व (basant panchmi ka mahatva)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार छह ऋतुएँ होती है। इस सब बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह भी कहते है कि इस ऋतु में पुराने फूलों की जगह नए फूल आने शुरू हो जाते है। इसे हम हरियाली से भरा मौसम भी कह सकते है। शास्त्रों के अनुसार इस ऋतु को कामबाण के लिए भी उत्तम माना गया है। कहते है कि इस ऋतु में कामदेव अपने प्यार के बाग चलाते है। गृह प्रवेश और किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए भी इस दिन को बहुत शुभ माना गया है। विशेष तौर पर यह दिन विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी कारण से ही यह त्यौहार बहुत खास हो जाता है। इस दिन भक्त पवित्र नदी में स्नान करते है। कई स्थानों पर इस दिन बसंत मेले का भी आयोजन किया जाता है।
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