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संकष्टी चतुर्थी 2022: जानें इसका महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

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हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं। एक कृष्ण पक्ष तो दूसरी शुक्ल पक्ष में होती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का पर्व का बहुत ही विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। पंचांग के मुताबिक दोनों पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करना का विधान है। 

संकष्टी चतुर्थी

तो आइए, देवदर्शन के इस ब्लॉग में अप्रैल 2022 में संकष्टी चतुर्थी तिथि कब है? और इसके महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानें। 

अप्रैल 2022 में संकष्टी चतुर्थी की तिथि

अप्रैल में विकट संकष्टी चतुर्थी 19 अप्रैल, 2022 दिन मंगलवार को दिन को पड़ रहा है। 

शुभ मुहूर्त

19 अप्रैल दोपहर 4:38 से 20 अप्रैल दोपहर 1:52 तक है।

यदि संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है, तो इस चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को पड़ने वाली चतुर्थी को बहुत ही शुभ माना जाता है।  

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ भक्त संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत व उपवास भी रखते है, जिससे गणेश भगवान की कृपा उनके ऊपर सदैव बनी रहे। हिंदू धर्म में सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन गणेश भगवान की विधि-विधान के साथ पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होती हैं और घर में शांति बनी रहती है। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान गणेश जी घर में आई हरेक विपदाओं को दूर करते हैं और अपने भक्तों  की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत ज्यादातर पश्चिमी और दक्षिणी भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में मनाया जाता है, जोकि भगवान गणेश जी को है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश (bhagavaan ganesh) की विधि-विधान के साथ पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते है और साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (sankashti chaturthi pooja vidhi)

  • संकष्टी चतुर्थी  के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठ जाएं और स्नान आदि करें।
  • इसके बाद मंदिर और अपने पूरे घर की साफ-सफाई करें और घर में गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
  • व्रत व उपवास रखने वाले भक्त इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें।
  • इसके बाद अपने घर के मंदिर या आप-पास के मंदिर में जाकर भगवान गणेश जी पूजा करें।
  • अगर आप घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करने के लिए बैठते है, तो ध्यान रखें की पूजा करते समय आपको प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं।
  • सर्वप्रथम भगवान गणेश जी को फूल चढ़ाएं।
  • फिर पूजा की सामाग्री को मंदिर मनें रखें। सामाग्री में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल, तांबे के कलश में पानी, धूप-चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें।
  • पूजा करते समय मां दुर्गा की भी आराधना करें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
  • भगवान गणेश को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें।
  • भोग में भगवान गणेश को मोदक चढ़ाएं।
  • अंत में गणेश जी के समक्ष धूप-दीप जलाकर मन्त्रों या आरती का जाप करें।

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