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मूल नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोग कैसे होते हैं और क्या हैं इनके सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष

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ब्रह्मांड में उपस्थित 27 नक्षत्रों में से 19 वें स्थान पर मूल नक्षत्र आता है। इस नक्षत्र का स्वामी केतु ग्रह है और इस नक्षत्र के चारों चरण में पैदा हुए लोगों की राशि धनु होती है जिसका स्वामी गुरु ग्रह है। इस प्रकार इस नक्षत्र में पैदा हुए लोगों पर जीवन पर्यंत केतु एवं गुरु ग्रह का प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कैसे होते हैं मूल नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोग

मूला नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोगों का व्यक्तित्व एवं स्वभाव

मूल नक्षत्र में पैदा हुए लोगों का स्वास्थ्य काफी कमजोर रहता है। ऐसा देखा गया है कि जन्म लेने के बाद कुछ वर्षों तक इन्हें स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं। जिसका प्रभाव उनके मस्तिष्क पर भी पड़ता है और जिससे इनके स्वभाव एवं व्यक्तित्व पर बहुत बुरा असर पड़ता है। यदि इनकी कुंडली में केतु एवं गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में हैं, तो ये लोग काफी संवेदनशील, भावुक, ईमानदार एवं कर्मठ होते हैं। ये अपना कार्य पूरी लगन से करते हैं और सफलता हासिल करते हैं। ये सभी लोगों को मिल जुलकर लेकर चलते हैं तथा अपने सकारात्मक विचारों से समाज में अपना विशेष स्थान बनाते हैं। ये मधुर वाणी बोलते हैं और इन्हें मित्र बनाना बहुत पसंद होता है। यदि ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव हो तो ये बहुत ही ईर्ष्यालु एवं क्रोधी स्वभाव के हो सकते हैं। इनकी सेहत भी अच्छी नहीं रहती एवं जीवन पर्यंत दुखी रह सकते हैं। धनु राशि के कारण कई बार ये लोग गुस्सैल बहुत होते हैं।

मूल नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोगों की शिक्षा व कॅरियर

मूल नक्षत्र में पैदा हुए लोग अच्छी शिक्षा प्राप्त करते हैं। ये हमेशा शिक्षा में अव्वल रहते हैं। इन्हें पढ़ने का बहुत शौक होता है इसलिए ये सभी विषयों में उच्च शिक्षा हासिल करते हैं और विदेश यात्रा भी करते हैं। ये हर क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाते हैं। ये अच्छे डॉक्टर एवं शोधकर्ता बन सकते हैं। इसके अलावा ये अध्यापन, मनोविज्ञान, कृषि से जुड़े कार्य, पर्यटन, रेडियो व दूरदर्शन, पत्रकारिता इत्यादि क्षेत्रों में अपना कॅरियर बनाकर जीवन यापन करते हैं

मूल नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोगों का पारिवारिक एवं वैवाहिक जीवन

मूल नक्षत्र में पैदा हुए लोग लोगों का पारिवारिक जीवन सामान्य रहता है। ये अपने परिवार के पास ही रहना पसंद करते हैं। यह देखा गया है कि ये नौकरी या व्यापार के लिए भी ज्यादा दूर जाना पसंद नहीं करते। इनका जीवनसाथी भी इनके लिए भाग्यशाली होता है तथा विवाह के बाद इनके भाग्य में वृद्धि होती है तथा ये तरक्की प्राप्त करते हैं। कई बार जीवनसाथी के साथ इनकी अनबन रह सकती है लेकिन संतान पक्ष से इन्हें लाभ प्राप्त होता है।

मूल नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोगों की जीवन शैली

यदि इस नक्षत्र में पैदा हुए लोगों पर केतु एवं गुरु ग्रह की कृपा हो तो ये जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुख प्राप्त करते हैं। इनकी जीवनशैली अच्छी रहती है और ये अपने परिवार को एक अच्छा जीवन प्रदान करते हैं। लेकिन ग्रहों की खराब स्थिति इनके लिए बहुत समस्याएं खड़ी कर सकती है। इनके पास धन की कमी रह सकती है और ये अपना जीवन दुख एवं गरीबी में व्यतीत करते हैं। ये धन संचय भी नहीं कर पाते और जीवन पर्यंत भटकते रहते हैं।

मूल नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोगों के नकारात्मक पक्ष

मूल नक्षत्र में पैदा हुए लोगों का जन्म के बाद स्वास्थ्य बहुत संवेदनशील रहता है। ये किसी भी बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं या शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं। यदि ग्रहों का दुष्प्रभाव हो तो ये मानसिक रूप से भी कमजोर होते हैं तथा जीवन में कुछ नहीं कर पाते। ये क्रूर, क्रोधी, बेईमान, जिद्दी हो सकते हैं तथा इन्हें जुए-सट्टे एवं नशे की लत लग सकती है। इनका पारिवारिक एवं वैवाहिक जीवन कष्टप्रद हो सकता है।

मूल नक्षत्र (Moola nakshatra) में पैदा हुए लोगों को बरतने वाली सावधानियां एवं उपाय

मूल नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को अपनी कुंडली में गुरु एवं केतु ग्रह के दोषों का निवारण अवश्य कराना चाहिए। इन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सावधान रहना चाहिए। इस नक्षत्र में जन्मे बालक के माता-पिता को अपनी कुंडली भी देखनी चाहिए तथा कुंडली के दोषों का निवारण कराना चाहिए। इस नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए एवं गरीबों को दान देना चाहिए।

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