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क्या है छठ पूजा (Chhath Puja 2022) का महत्व, क्या है सूर्य को अर्घ्य देने के फायदे, कैसे मनाएं छठ पर्व जानिए यहां

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कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को पूरे देश में छठ पर्व का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि बिहार, झारखंड सहित पूर्वी प्रदेशों मे छठ पर्व का महत्व बहुत अधिक है। छठ पूजा (Chhath Puja 2022) सूर्य उपासना का अनुपम पर्व है। कहा जाता है कि सूर्य उपासना का क्रम वैदिक काल से चला रहा है। छठ पूजा पर भगवान सूर्य की पूजा के साथ सुबह और शाम उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व पर किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं होती है। जानते हैं साल 2022 में छठ पूजा कब है और क्या है इसका महत्व, कैसे करना है इसकी पूजा।

साल 2022 में कब है छठ पूजा (Chhath Puja 2022)

साल 2022 में छठ पूजा 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन – 06:20 ए एम
सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन – 05:40 पी एम

छठ पूजा (Chhath Puja) की महत्वपूर्ण परंपराएं

नहाए-खाए परंपरा

छठ पूजा (Chhath Puja 2022) से दो दिन पूर्व नहाए-खाए परंपरा की शुरुआत होती है। इस दिन छठ पर्व पर व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। पवित्र नदियों में स्नान का क्रम इसी दिन से शुरू हो जाता है। भोग के रूप में कद्दू की सब्जी और चावल बनाए जाते हैं।

छठ पूजा की दूसरी परंपरा है खरना

खरना के दिन यानी कार्तिक शुक्ल पंचमी (लाभ पंचमी) पर व्रत करने वाले नमक और चीनी का प्रयोग नहीं करते हैं। शाम के समय सूर्य पूजा के बाद व्रती गन्ने के रस से बनी चावल की खीर और चावल का पीट्ठा बनाकर भोग लगाकर भोजन ग्रहण करते हैं।

छठ के दिन अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य

यह दिन छठ पर्व का सबसे प्रमुख दिन होता है। इस दिन व्रती अपने परिवार के साथ किसी पवित्र नदी, तालाब के किनारे जाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। वहीं फल, अन्न आदि का दान करते हैं। शाम के समय पवित्र नदियों पर दीपदान भी किया जाता है।

छठ पूजा (Chhath Puja) की समाप्ति

कार्तिक शुक्ल सप्तमी को छठ पूजा (Chhath Puja) की समाप्ति होती है। इस दिन व्रती सुबह जल्दी पवित्र नदियों के किनारे जाकर उगते सूरज को अर्घ्य देकर पूजा समाप्त करते हैं। ये व्रती शरबत आदि पीकर व्रत की समाप्ति करते हैं।

छठ पूजा (Chhath Puja 2022) पर सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ

छठ पर सूर्य भगवान को शाम के समय अर्घ्य देने से जीवन में संपन्नता आती है।
– सप्तमी पर सूर्य को उषाकाल में अर्घ्य देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
– सूर्य की आराधना से नाम और यश की प्राप्ति होती है।
– सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक रोग और कुविचार दूर होते हैं।
– जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर हो या नौकरी व्यवसाय में उन्नति नहीं हो रही हो, तो छठ पर सूर्य पूजा करने
से लाभ मिलता है।
– सूर्य को अर्घ्य देने से सभी तरह के कष्टों को निवारण होता है और शत्रु स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं।

छठ पर्व पर होती है छठी मैय्या की पूजा

कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की षष्‍ठी तिथि को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य करके छठी मैय्या का व्रत किया जाता है। भगवान सूर्य के साथ छठ पूजा (Chhath Puja) में छठी मैय्या की भी पूजा की जाती है। छठ पूजा में छठी मैय्या के गीत गाए जाते हैं और उनसे संतान सुख देने की कामना की जाती है। माना जाता है छठी मैय्या भगवान ब्रह्मा की बेटी हैं और वे सूर्य देवता की बहन है। माताएं यह व्रत अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए करते हैं। छठी मैय्या को प्रकृति से भी जोड़ते हैं। कहते हैं छठी मैय्या कभी भी किसी भक्त को निराश नहीं करती है। व्रती को छठ पूजा के दिन छठी मैय्या की कथा जरूर पढ़ना चाहिए।

छठ पूजा से जुड़ी तीन पौराणिक कहानियां

– भगवान राम और माता सीता ने भी लंका से लौटने के बाद षष्ठी का व्रत रखकर भगवान सूर्य की पूजा की थी। इसके बाद ही भगवान राम ने राज्य संभाला था। माना जाता है षष्ठी मैय्या की कृपा से उनके राज्य में किसी चीज की कमी नहीं थी।

– पांडव जब जुए में सारा राज्य हार गए, तब भगवान कृष्ण की प्रेरणा से द्रोपदी सहित पांचों पांडवों ने भी छठ व्रत का पालन किया था। इसके बाद उनको खोया राज्य प्राप्त हो गया था।

– महादानी कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। कहते हैं वे भी पानी में खड़े होकर षष्ठी के दिन भगवान सूर्य की पूजा घंटों तक करते रहते थे। भगवान सूर्य की कृपा से दूर्योधन का साथ देने के बावजूद कर्ण का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। कहते हैं इसके बाद षठ पूजा (chhath puja) का प्रचलन और बढ़ गया।

 

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