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नवरात्रि के छठे दिन इस विधि से मिलेगा मां कात्यायनी का आशीर्वाद

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नौ दिन के नवरात्रि उत्सव के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। यह वह समय होता है, जब नवरात्रि का उत्साह अपने चरम पर होता है। इस समय मां के भक्तों का ऊर्जा का स्तर बहुत ऊपर बढ़ चुका होता है। माता जाता है कि माता कात्यायनी के भक्तों के लिए कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है। वे भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर काफी आगे बढ़ चुके होते हैं। माना जाता है कि मां कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था। जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा कैसे करें और इसके क्या लाभ हैं-

माता कात्यायनी का स्वरूप

माता कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत उज्ज्वल है। उनका शरीर सुनहरा है। माता कात्यायनी के चार हाथ हैं। एक हाथ में उन्होंने अपना प्रिय शस्त्र तलवार पकड़ा हुआ है। एक हाथ में कमल का फूल है। एक हाथ वर मुद्रा में है और दूसरा हाथ अभय मुद्रा में है। उनके शरीर से दिव्य सुंगध निकलती रहती है। उनकी कृपा पाने के लिए देवताओं को भी कठिन तपस्या करना होती है, लेकिन अपने भक्तों के लिए सदैव सहज ही उपलब्ध रहती है। जानते हैं मां कात्यायनी के जन्म का रहस्य क्या है।

मां कात्यायनी की कथा

मां कात्यायनी कात्य ऋषि की पुत्री मानी जाती है। माना जाता है कि कात्य ऋषि मां दुर्गा के परम भक्त थे। उन्होंने माता दुर्गा को पुत्री रूप में पाने के लिए घोर तप किया, तब माता भगवती दुर्गा ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद दिया।
माना जाता है कि एक समय महिषासुर नाम के एक राक्षस का अत्याचार बढ़ गया, तब कात्य ऋषि के घर माता पुत्री के रूप में आई और महिषासुर का वध किया। एक और कथा के अनुसार जब सभी देवता महिषासुर के अत्याचार से परेशान हो गए, तब उनकी सभी की ऊर्जा से एक दिव्य स्त्री प्रकट हुई। इस दिव्य स्त्री को सभी देवताओं ने अपनी अलग-अलग शक्ति थी। यही दिव्य कन्या माता कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुई। इन्हीं कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा कैसे करें और उससे क्या लाभ है-

मां कात्यायनी पूजा कैसे करें

मां कात्यायनी की पूजा विधि
– सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें। घर में जहां घटस्थापना की है, उस जगह माता कात्यायनी की प्रतिमा स्थापित करें या चित्र सजाएं।
– मां कात्यायनी की पूजा में लाल रंग के कपड़ों का बड़ा महत्व है। मां कात्यायनी की पूजा में आप लाल रंग के कपड़े पहनें।
– इसके बाद गणेश पूजा, कलश पूजा करें। मां का आह्वान करें। उन्हें लाल या पीले वस्त्र, फल, शहद और खीर का भोग लगाएं।
– माता के मंत्रों का 108 बार पाठ करें।

h3- मां कात्यायनी के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु कात्यायनी रुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।

और

ॐ कात्यायनी दैव्यै नम:।।

विवाह नहीं हो रहा है, तो करें मां कात्यायनी की पूजा

मां कात्यायनी को बृज क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। वृंदावन में कात्यायनी शक्तिपीठ भी स्थित है। कहा जाता है कि गोपियों ने भगवान कृष्ण की तरह वर प्राप्ति के लिए माता कात्यायनी का व्रत किया था। माता ने प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहे पति का वरदान दिया था। यदि कुंडली में विवाह संबंधी कोई दोष हो, तो माता कात्यायनी की कृपा से दूर हो जाता है।

गुरु ग्रह कृपा के लिए करें कात्यायनी की पूजा

ज्योतिष में कात्यायनी का संबंधी गुरु जैसे शुभ ग्रह से माना जाता है। गुरु प्रचुरता का कारक है। हर क्षेत्र में बढ़ा चढ़ाकर देने वाले गुरु ग्रह की कृपा कात्यायनी पूजा से प्राप्त की जा सकती है। नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की विशेष पूजा का लाभ लेकर जीवन को संपूर्णता जरूर प्रदान करना चाहिए।

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