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नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा से जीवन में भरें सकारात्मकता

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नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा करने का विधान है। माता का यह नाम उनके गौर वर्ण के कारण हुआ है। माता महागौरी की कृपा से सभी कार्यों की सिद्धि होती है। उन्हें गणेश की माता के रूप में भी पूजा जाता है। महागौरी अत्यंत शुभता का प्रतीक है। वे जीवन में उल्लास, उजाले और ऊर्जा का प्रतीक है। नौ दिवसीय नवरात्रि के आठवें दिम महागौरी से जीवन को सफल और सकारात्मक बनाने का आशीर्वाद मांगा जाता है। जानते हैं कौन है महागौरी, क्या है इनकी कथा और कैसे करना है माता की पूजा

माता महागौरी का स्वरूप

माता महागौरी पार्वती का ही एक स्वरूप है। उनका रंग अत्यंत उज्ज्वल है। कहते हैं माता के रंग के कारण ही उनका यह नाम महागौरी पड़ा है। महा का अर्थ है बहुत और गौरी का अर्थ है उज्ज्वल, अर्थात् जो अत्यंत उज्ज्वल हो, वही महागौरी है। माता की कृपा से मनुष्य का चरित्र भी अत्यंत उज्ज्वल हो जाता है। माता की चार भुजाएं हैं। जिसमें से एक हाथ वर मुद्रा है। एक अभय मुद्रा है। माता ने एक हाथ में भगवान शिव का वाद्य यंत्र डमरू पकड़ा हुआ है। उनके एक हाथ में त्रिशुल है, लेकिन महागौरी अत्यंत शांत और गंभीर है। उनकी पूजा करने से मन में अत्यंत शांति का अनुभव होता है। माता की पूजा विधि से पहले जानते हैं क्या है माता की उत्पत्ति की कथा-

नवरात्रि के आठवें दिन जानें महागौरी की उत्पत्ति की कथा

कहते हैं जब सती ने आत्मदाह के बाद पार्वती के रूप में दूसरा जन्म लिया था। पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप किया। जब शिव अत्यंत तप के बाद भी प्रकट नहीं हुए, तो पार्वती ने अन्न-जल त्याग करके शिव उपासना शुरू की। तब पार्वती का शरीर अत्यंत काला और दुर्बल हो गया। माना जाता है कि उनके इसी काले रूप से कौशिकी देवी का जन्म हुआ था। जब भगवान शिव को पार्वती के घोर तप का पता चला और उन्होंने पार्वती को दर्शन देकर उनकी मनोकामना पूरी करने का वरदान दिया। इस दौरान पार्वती का शरीर अत्यंत दुर्बल और काला था। तब शिव ने गंगाजल से पार्वती को स्नान करवाया। इसके बाद उनके शरीर से अशुद्धि दूर हुई और वे अत्यंत उज्ज्वल हो गईं। देवी पार्वती के इसी रूप को महागौरी कहा जाता है। जानते हैं महागौरी की पूजा विधि-

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा विधि

– नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी पूजा से पहले घर में नवरात्रि में स्थापित कलश, गणेश, गौरी और नवग्रह की पूजा करनी चाहिए।
– इसके बाद महागौरी का आह्वान करके उन्हें स्नान, ध्यान, फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य से प्रसन्न करना चाहिए।
– महागौरी के समक्ष दुर्गासप्तशती के मंत्रों का विशेष पाठ करना चाहिए।
– महागौरी के किसी भी एक मंत्र का 108 बार पाठ जरूर करना चाहिए।
– अष्टमी के दिन महागौरी की प्रसन्नता के लिए छोटी कन्याओं को भोजन जरूर करवाना चाहिए।
– माता महागौरी को खीर और हलवे का भोग बहुत पसंद आता है। उन्हें यह भोग जरूर अर्पित करना चाहिए।

पूजा में सफलता के लिए महागौरी मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इसके अलावा महागौरी की प्रसन्नता के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, महागौरी स्तोत्र या कवच का पाठ करना अच्छा रहता है।

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी पूजा के लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महागौरी पूजा से शुक्र से संबंधित कोई भी दोष दूर हो जाते हैं। विवाह संबंधी समस्या हो, तो भी महागौरी की पूजा की जानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने भी राम को पति रूप में पाने के लिए महागौरी की पूजा की थी। व्यक्ति को जीवन में प्रसन्नता, आर्थिक उन्नति, सफलता, लाभ और धर्म की प्राप्ति के लिए नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा जरूर करनी चाहिए।

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