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कब है बलराम जयंती (Balarama jayanti), क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

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भगवान कृष्ण और उनके पूरे परिवार के सदस्य पूरे देश में पूजनीय है। श्री कृष्ण के बड़े भाई और हलदर श्री बलराम का जन्मोत्सव बृज सहित देश के अनेक क्षेत्रों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जानते हैं कब है बलराम जयंती (Balarama jayanti) और क्या है इसका महत्व

बलराम जयंती (balarama jayanti 2022 kab hai) कब है?

बलराम जयंती (balarama jayanti) – 16 अगस्त
हालांकि इस्कॉन मंदिर और उससे जुड़े श्रद्धालु 12 अगस्त रक्षाबंधन के दिन बलराम जयंती मनाएंगे। यह दिन को भारत के उत्तरी राज्यों में हल षष्ठी या ललाही छठ के रूप में भी जाना जाता है। गुजरात में बलराम जयंती को बलदेव छठ और रंधन छठ के नाम से मनाता है।

कौन हैं बलराम (bhagwan balaram kon hai)

बलराम जयंती (balarama jayanti) मनाने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि बलराम कौन है? बलराम को शेषनाग का अवतार माना जाता है। वे कृष्ण के बड़े भाई के रूप में अवतरित हुए थे। बलराम रोहिणी और वासुदेव के पुत्र माने जाते हैं। हालांकि कहा जाता है कि बलराम पहले देवकी के गर्भ में ही थे, लेकिन जब कंस देवकी के 6 पुत्रों की हत्या कर चुका था, तब योगमाया से प्रार्थना करने पर देवकी के गर्भ को रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में यही बालक बलराम कहा गया। बलराम जयंती पर कृष्ण मंदिरों में विशेष पूजा होती है। शारीरिक और मानसिक शक्ति के लिए भक्त भगवान बलराम की पूजा करते हैं।

कैसे मनाएं बलराम जयंती (balarama jayanti)

भगवान से प्रार्थना करने के कई तरीके हैं। यदि रोज प्रार्थना नहीं कर सकते हैं, तो इसके लिए जयंती या कोई त्यौहार हमारे पूर्वजों मे निर्धारित किए हैं। जानते हैं कैसे मनाई जाती है बलराम जयंती (balarama jayanti) –
– सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में पूजा पाठ की जानी चाहिए।
– भगवान कृष्ण और बलराम की मूर्तियों को सजाना भी एक सेवा है।
– बलरामजी को भी मक्खन मिश्री का भोग लगाएं।
– पंचामृत से बलराम का अभिषेक किया करना भी श्रेष्ठ फलदायक रहता है।
– हो सकें तो इस दिन किसी निर्धन किसान को हल भेंट करें।

बलराम जयंती(balarama jayanti) की खास पूजा

बलराम जयंती (balarama jayanti) मानसून के दौरान आती है। भगवान बलराम को प्रकृति से बड़ा लगाव था, इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है। हल का उपयोग खेतों को जोतने में काम आता है। यदि आपके पास खेत है, तो बलराम जयंती पर हल और खेती भूमि की पूजा जरूर करना चाहिए। भगवान बलराम से फसलों की रक्षा करने की प्रार्थना करनी चाहिए। यदि आपके पास कोई खेत नहीं है, तो आप गमले में कोई पौधा लगाकर भी भगवान बलराम को प्रसन्न कर सकते हैं। कहते हैं पलाश, नीम या कोई फलदाल वृक्ष लगाकार उसकी सेवा करने से भी बलराम को प्रसन्न किया जा सकता है। इसके अलावा भक्त इस दिन भगवान बलराम को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते हैं। उनके लिए विशेष भोग तैयार करते हैं।

बलरामजी के मंत्र

– ॐ हलधाराय संकर्षणाय नम:
बलराम जयंती के दिन (balarama jayanti) बलरामजी के इस मंत्र का 108 बार पाठ करना चाहिए। वहीं इस मंत्र के बाद भगवान विष्ण या कृष्ण से जुड़े मंत्र भी पढ़े जाना चाहिए।

बलराम जयंती के महत्व को समझिए (balarama jayanti ka mahatva)

बलराम को शेषनाग का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि यह पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है। शेषनाग ने पूरे ब्रह्मांड में संतुलन रखा हुआ है। भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करते नजर आते हैं। शेषनाग का भगवान विष्णु के इतने समीप होना, उन्हें विष्णु स्वरूप ही बनाता है। राम अवतार में लक्ष्मण के रूप में और कृष्ण अवतार में बलराम के रूप में शेषनाग ने जन्म लिया है। बलराम जयंती (balarama jayanti) शेषनाग के प्रति आभार व्यक्त करने का भी दिन है। वहीं इस त्यौहार प्रकृति से जोड़कर देखना ज्यादा अच्छा है, क्योंकि भगवान बलराम प्रकृति के पूजारी रहे हैं।

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