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जानिए हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) व्रत कब है? क्या है इसकी पूजा विधि और कथा

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हरतालिका तीज (hartalika teej) व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत महिलाएं वैवाहिक जीवन में शांति बनाए रखने के लिए, अपने पति की लंबी उम्र के लिए और सदा सुहागन रहने के लिए करती हैं और यही दिन हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं। जिन युवतियों के विवाह में बाधाएं आ रही हो और विलंब हो रहा होता है, हरितालिका व्रत (hartalika teej 2022) व्रत को रखने से उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है। इस त्यौहार की रौनक विशेष तौर पर मप्र, उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में देखने को मिलती है।

हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) कब है ?

यह त्यौहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
इस वर्ष हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) यह पर्व अगस्त 30, 2022 मंगलवार के दिन है।
प्रात:काल मुहूर्त : 05:58 बजे से 08:30 बजे
तृतीया तिथि शुरू: 29 अगस्त 2022 दोपहर 03:20 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 30 अगस्त 2022 दोपहर 03:33 बजे

हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) व्रत कैसे करें?

हरतालिका तीज (hartalika teej) पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में सबसे कठिन व्रत माना गया है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का नियम है। हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ना नही चाहिए और प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।

हरतालिका तीज (hartalika teej) व्रत के दिन रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन किया जाना चाहिए। इस व्रत को कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां या विधवा महिलाएं भी रख सकती है। इस दिन प्रात काल उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए तथा मन में व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद साफ मिट्टी में गंगा जल मिलाकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा बनानी चाहिए। इसके बाद सभी महिलाओं को एक थाली में अपने सुहाग की सामग्रियों को एकत्रित करके माता पार्वती को अर्पण करना चाहिए।

इसके बाद भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाना चाहिए। यह सुहाग सामग्री बड़ों के चरण स्पर्श करने के बाद किसी गरीब को दान देना चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद सभी आराध्य देवी-देवताओं की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए और हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए और रात्रि जागरण करना चाहिए। दूसरे दिन गणेश चतुर्थी के दिन भगवान की प्रतीमा को शुद्ध जल में विसर्जित करना चाहिए।

हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) का महत्व

हिंदू धर्म में हर पर्व व्रत एवं पूजन का अपना विशेष महत्व है। हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि सर्वप्रथम व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से इनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुहागन स्त्रियों को अचल सुहाग की प्राप्ति होती है। इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए हरियाली तीज व्रत की बड़ी महिमा है।

इस दिन महिलाएं सुबह स्नान करके, नए वस्त्र धारण करके श्रृंगार करती हैं तथा अपने घर में बड़ों से आशीर्वाद लेती हैं। उसके बाद देवी देवताओं की पूजा की जाती है तथा भगवान शिव और पार्वती की आराधना से आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इसलिए सौंदर्य एवं प्रेम के रूप में हरतालिका तीज का एक विशेष महत्व है। राजस्थान में इससे मिलता-जुलता पर्व हरियाली तीज मनाया जाता है।

हरतालिका तीज (hartalika teej 2022) की व्रत कथा

हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार यह हरतालिका व्रत कथा भगवान शिव ने ही माता पार्वती को सुनाई थी। भगवान शिव ने इस कथा में मां पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाया था। उन्होंने सुनाया कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया और 108वी बार पर्वतराज पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद उनकी यह मनोकामना पूर्ण हुई।

माता पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप कर रही थी। माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी इसलिए उनकी सखियां माता पार्वती का हरण कर उन्हें दूर जंगल में ले गई और फिर दोबारा वे कठिन तप में तल्लीन गई। इस व्रत को ‘हरितालिका’ (hartalika) इसलिये कहा जाता है क्योंकि माता पार्वती की सखियां उन्हें पिता और प्रदेश से हर कर जंगल में ले गयी थी। ‘हरित’ अर्थात हरण करना और ‘तालिका’ अर्थात सखी। इस प्रकार भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप व व्रत करने के बाद भगवान शिव माता पार्वती से प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। पर्वतराज हिमालय ने भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न कराया।

यह भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी यानि यह हरतालिका तीज (hartalika teej) का दिन था और इस दिन माता पार्वती का उपवास पूरा हुआ। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती इस दिन सभी सुहागन महिलाओं को उनके पति की लंबी आयु होने का आशीर्वाद देते हैं। इस साल 30 अगस्त को आप भी पूरे मन से हरितालिका तीज (hartalika teej 2022) व्रत रख सकती हैं।

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