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वामन जयंती (vamana jayanti 2022) का महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि

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त्यौहारों के देश भारत में हर महीने ना जाने कितने विशेष त्यौहार आते हैं। वामन जयंती (vamana jayanti 2022) ऐसा ही एक प्रमुख त्यौहार है। वामन जयंती भगवान विष्णु के वामन स्वरूप के अवतार का दिन है। इस स्वरूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि से पृथ्वी का राज छिनकर फिर से देवताओं को सौंप दिया था। जानते हैं वामन जयंती 2022 में कब है? इसका महत्व क्या है? किस पूजा विधि से भगवान वामन को प्रसन्न किया जा सकता है।

कब है वामन जयंती (vamana jayanti 2022)

वामन जयंती तिथि- 7 सितम्बर 2022, दिन- बुधवार

श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – 7 सितम्बर 2022 को शाम 4 बजे से

वामन जयंती (vamana jayanti) का महत्व

वामन जयंती (vamana jayanti 2022) भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन का जन्मदिन है। भगवान वामन का जन्म भाद्रपद शुक्ल की द्वादशी तिथि को हुआ है। इस तिथि को वामन द्वादशी भी कहा जाता है। वामन द्वादशी के दिन श्रवण नक्षत्र में की गई पूजा विशेष फलदायी होती है। भगवान वामन ने ऋषि कश्यप और माता अदिति के घर जन्म लिया था। जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान वामन की पूजा अर्चना करता है, उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। वामन जयंती से पहले नृसिंह जयंती भी भगवान विष्णु के प्रमुख अवतार नृसिंह की कृपा प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है।

वामन जयंती (vamana jayanti) पर कैसे करें पूजा

– वामन जयंती पर सुबह उठकर शुद्ध स्नान के बाद पूजा का संकल्प लें।
– इस दिन उपवास रखें। आप एक समय भी भोजन कर सकते हैं।
– भगवान वामन की प्रतीमा के सामने व्रत का संकल्प लें।
– भगवान वामन की षोडोपचार पूजा करें।
– इस दिन पूजा श्रवण नक्षत्र में की जाती है। माना जाता है कि भगवान वामन का जन्म श्रवण नक्षत्र में हुआ था।
– पूजा के बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
– पूजा के बाद भगवान वामन के जन्म की कथा का पाठ करें।
– भगवान को फल, फूल, नैवेद्य आदि का भोग लगाएं।
– शाम के समय पूजा के बाद व्रत खोल सकते हैं।

भगवान विष्णु के कुछ मंत्र

– ॐ वामनाय नम:
– ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
– ॐ विष्णवे नम:
– ॐ नमो नारायणाय

वामन अवतार कथा (vamana avtaar katha)

एक समय पूरी पृथ्वी पर राजा बलि का राज्य हो गया। वह भगवान विष्णु के परम भक्त थे। राजा बलि प्रहलाद के पौत्र थे, इसलिए विष्णु भक्ति उनमें सहज ही थी। अपने बल से उन्होंने इंद्र को भी परास्त कर दिया। स्वर्ग पर असुरों के राज से भगवान इंद्र भयभीत हो गए और भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब भगवान विष्णु ने कश्यप और अदिति के घर वामन रूप में जन्म लिया।

जब राजा बलि अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताने के साथ और शक्ति प्राप्त करने के लिए अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे, तब वामन वहां पहुंच गए और तीन पग भूमि की मांग की। तब असुरों के गुरु शुक्राचार्य वहां मौजूद थे, उन्होंने बलि को कुछ भी वचन न देने की बात कही, लेकिन राजा ने अनसुना कर दिया और वामन को तीन पग भूमि देने का वचन दे दिया। तब वामन ने विशाल रूप लेकर एक पैर से पूरा ब्रह्मांड और दूसरे पैर से पूरी पृथ्वी नाप ली। दोनों ही पैर पृथ्वी और ब्रह्मांड पर रखकर राजा बलि का सबकुछ छिन लिया।

इसके बाद राजा बलि ने वचन पूरा करते हुए तीसरा पैर खुद पर रखने की बात कहीं। जब वामन ने बलि पर पैर रखा, तो वे पाताल में चले गए। भगवान विष्णु ने आज्ञा देकर वहीं रहने की बात कहीं। माना जाता है कि इसके बाद राजा बलि साल एक बार अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आते हैं। दक्षिण भारत में इस त्यौहार को ओणम कहते हैं। वामन जयंती (vamana jayanti 2022) पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की यह कथा मोक्ष दिलाने में सहायक है।

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